ये दिल लगाने में मैं ने मज़ा उठाया है
मिला न दोस्त तो दुश्मन से इत्तिहाद किया
हैदर अली आतिश
या वफ़ा ही न थी ज़माने में
या मगर दोस्तों ने की ही नहीं
इस्माइल मेरठी
दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो
दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी
जान काश्मीरी
हम को यारों ने याद भी न रखा
'जौन' यारों के यार थे हम तो
जौन एलिया
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले
कैफ़ भोपाली
इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले
कैफ़ भोपाली
बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं
मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले
कलीम आजिज़