दिन एक सितम एक सितम रात करो हो
वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो
कलीम आजिज़
दुश्मनों से पशेमान होना पड़ा है
दोस्तों का ख़ुलूस आज़माने के बाद
ख़ुमार बाराबंकवी
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
ख़ुमार बाराबंकवी
हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मिरे घर में आने लगे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
इलाही मिरे दोस्त हों ख़ैरियत से
ये क्यूँ घर में पत्थर नहीं आ रहे हैं
ख़ुमार बाराबंकवी
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याद करने पे भी दोस्त आए न याद
दोस्तों के करम याद आते रहे
ख़ुमार बाराबंकवी
आ गया 'जौहर' अजब उल्टा ज़माना क्या कहें
दोस्त वो करते हैं बातें जो अदू करते नहीं
लाला माधव राम जौहर