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Bechaini शायरी | शाही शायरी

Bechaini

13 शेर

रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है
क्या चीज़ उफ़ ये कैफ़ियत-ए-इज़्तिराब है

अख़्तर अंसारी




भोले बन कर हाल न पूछ बहते हैं अश्क तो बहने दो
जिस से बढ़े बेचैनी दिल की ऐसी तसल्ली रहने दो

आरज़ू लखनवी




हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था

आज़ाद अंसारी




लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में

my heart, these dismal ruins, cannot now placate
who can find sustenance in this unstable state

बहादुर शाह ज़फ़र




किसी पहलू नहीं चैन आता है उश्शाक़ को तेरे
तड़पते हैं फ़ुग़ाँ करते हैं और करवट बदलते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र




तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल
इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं

फ़िराक़ गोरखपुरी




दिल को ख़ुदा की याद तले भी दबा चुका
कम-बख़्त फिर भी चैन न पाए तो क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी