आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी
कोई आँसू मिरे दामन पे बिखर जाने दे
नज़ीर बाक़री
अश्कों के टपकने पर तस्दीक़ हुई उस की
बे-शक वो नहीं उठते आँखों से जो गिरते हैं
नूह नारवी
मेरी आँखों में हैं आँसू तेरे दामन में बहार
गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूँ मैं
नुशूर वाहिदी
उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं ने शबनम को भी शोलों पे मचलते देखा
साहिर लुधियानवी
यूँ ही आँखों में आ गए आँसू
जाइए आप कोई बात नहीं
सलाम मछली शहरी
शबनम ने रो के जी ज़रा हल्का तो कर लिया
ग़म उस का पूछिए जो न आँसू बहा सके
सलाम संदेलवी
जो तेरी बज़्म से उट्ठा वो इस तरह उट्ठा
किसी की आँख में आँसू किसी के दामन में
सालिक लखनवी