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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

उस को पहुँची ख़बर कि जीता हूँ
किसी दुश्मन सेती सुना होगा

वली उज़लत




वो पल में जल-बुझा और ये तमाम रात जला
हज़ार बार पतिंगे से है चराग़ भला

वली उज़लत




वो पल में जल-बुझा और ये तमाम रात जला
हज़ार बार पतिंगे से है चराग़ भला

वली उज़लत




ऐ बंदा-परवर इतना लाज़िम है क्या तकल्लुफ़
उठिए ग़रीब-ख़ाने चलिए बिला-तकल्लुफ़

वलीउल्लाह मुहिब




ऐ दिल तुझे करनी है अगर इश्क़ से बैअ'त
ज़िन्हार कभू छोड़ियो मत सिलसिला-ए-दर्द

वलीउल्लाह मुहिब




ऐ दिल तुझे करनी है अगर इश्क़ से बैअ'त
ज़िन्हार कभू छोड़ियो मत सिलसिला-ए-दर्द

वलीउल्लाह मुहिब




अरे ओ ख़ाना-आबाद इतनी ख़ूँ-रेज़ी ये क़त्ताली
कि इक आशिक़ नहीं कूचा तिरा वीरान सूना है

वलीउल्लाह मुहिब