लहू मेरी नसों में भी कभी का जम चुका था
बदन पर बर्फ़ को ओढ़े नदी भी सो रही थी
तौक़ीर अब्बास
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मेरी आँखों में आ के राख हुआ
जाने किस देस का सितारा था
तौक़ीर अब्बास
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मेरी आँखों में आ के राख हुआ
जाने किस देस का सितारा था
तौक़ीर अब्बास
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फिर यही बात न मैं भूल सका
मैं उसे भूल गया था इक दिन
तौक़ीर अब्बास
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वक़्त कर देगा फ़ैसला इस का
कौन सच्चा है कौन झूटा है
तौक़ीर अब्बास
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वक़्त कर देगा फ़ैसला इस का
कौन सच्चा है कौन झूटा है
तौक़ीर अब्बास
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आज की रात मुझे होश में रहने दो अभी
आज की रात कोई आँखों से पिलाएगा मुझे
तौक़ीर अहमद
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