मिला था हिज्र के रस्ते में सुब्ह की मानिंद
बिछड़ गया था मुसाफ़िर से रात होने तक
ताजदार आदिल
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तुम्हारी याद बढ़ी और दिल हुआ रौशन
ये एक शम्अ अँधेरे ने ख़ुद जला ली है
ताजदार आदिल
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तुम्हारी याद बढ़ी और दिल हुआ रौशन
ये एक शम्अ अँधेरे ने ख़ुद जला ली है
ताजदार आदिल
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वो इस कमाल से खेला था इश्क़ की बाज़ी
मैं अपनी फ़तह समझता था मात होने तक
ताजदार आदिल
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वो जो दरिया के बीच रहता है
वही प्यासा मिला हमेशा से
ताजदार आदिल
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वो जो दरिया के बीच रहता है
वही प्यासा मिला हमेशा से
ताजदार आदिल
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ज़ख़्म कब का था दर्द उठा है अब
उस के जाने का दुख हुआ है अब
ताजदार आदिल
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