लब तक आया गिला हमेशा से
और मैं चुप रहा हमेशा से
सब हवाओं से जंग करता रहा
एक नन्हा दिया हमेशा से
सोच पर लग सकी न पाबंदी
यूँ ही आई हवा हमेशा से
कितनी शक्लें बदल के आता है
इक वही वाक़िआ हमेशा से
बात आसूदगी की होती है
कौन किस को मिला हमेशा से
याद करता रहा किसी को कोई
फूल दिल में खिला हमेशा से
उस निगह के सबब से पाया है
सब ने अपना पता हमेशा से
अद्ल फ़रियाद से मिला न कभी
वक़्त चीख़ा किया हमेशा से
ये फ़रेब-ए-वफ़ा नया तो नहीं
यूँ ही होता रहा हमेशा से
सब उसे ढूँडते रहे और वो
यूँ ही छुपता रहा हमेशा से
बच्चे सुन कर कहानी कहते हैं
यूँ ही कैसे हुआ हमेशा से
ज़िंदगी इतनी राएगाँ क्यूँ है
क्यूँ न वो मिल सका हमेशा से
वो जो दरिया के बीच रहता है
वही प्यासा मिला हमेशा से
सब परिंदे फ़ज़ा में उड़ते हैं
जाल बिछता रहा हमेशा से
कारवाँ रास्ते में चलते रहे
रास्ता चुप रहा हमेशा से
क़ीमती था हवा-ए-ग़म के लिए
एक दिल का दिया हमेशा से
छोटी छोटी सी ख़्वाहिशों के लिए
कोई ज़िंदा रहा हमेशा से
दिल है क्या चीज़ हल हुआ न कभी
मेरा ये मसअला हमेशा से
हर मुसाफ़िर के साथ आता है
इक नया रास्ता हमेशा से
आज तक ये नहीं खुला आदिल
क्या हुआ फ़ैसला हमेशा से
हुई दर-अस्ल मात किस को यहाँ
जीत में कौन था हमेशा से
ग़ज़ल
लब तक आया गिला हमेशा से
ताजदार आदिल