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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मुझ से कन्नी काट न गोरी मैं हूँ तेरी छाया
मैं इक दाता जोगी बन कर तेरी गली में आया

ताज सईद




पत्ता पत्ता शाख़ से टूटे दरवाज़ों पे वहशत सी
यारो प्रेम कथा में किस ने दर्द की तान मिलाई है

ताज सईद




दुनिया-भर में जितने मंज़र अच्छे हैं
उन का हुस्न और शोर हवा का तेरे नाम

ताजदार आदिल




दुनिया-भर में जितने मंज़र अच्छे हैं
उन का हुस्न और शोर हवा का तेरे नाम

ताजदार आदिल




हर मुसाफ़िर के साथ आता है
इक नया रास्ता हमेशा से

ताजदार आदिल




मेरी आँखों में ख़्वाब हैं जिस के
उस की आँखों में रत-जगा है अब

ताजदार आदिल




मेरी आँखों में ख़्वाब हैं जिस के
उस की आँखों में रत-जगा है अब

ताजदार आदिल