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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

मिरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की

ताबिश मेहदी




मिरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की

ताबिश मेहदी




पड़ोसी के मकाँ में छत नहीं है
मकाँ अपने बहुत ऊँचे न रखना

ताबिश मेहदी




तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है

ताबिश मेहदी




तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है

ताबिश मेहदी




ये माना वो शजर सूखा बहुत है
मगर उस में अभी साया बहुत है

ताबिश मेहदी




ये हाल मिरा मेरी मोहब्बत का सिला है
जो अपने ही दामन से बुझा हो वो दिया हूँ

ताबिश सिद्दीक़ी