मिरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
मिरे ऐबों को गिनवाया तो सब ने
किसी ने मेरी ग़म-ख़्वारी नहीं की
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
पड़ोसी के मकाँ में छत नहीं है
मकाँ अपने बहुत ऊँचे न रखना
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
तकोगे राह सहारों की तुम मियाँ कब तक
क़दम उठाओ कि तक़दीर इंतिज़ार में है
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
ये माना वो शजर सूखा बहुत है
मगर उस में अभी साया बहुत है
ताबिश मेहदी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
ये हाल मिरा मेरी मोहब्बत का सिला है
जो अपने ही दामन से बुझा हो वो दिया हूँ
ताबिश सिद्दीक़ी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |