कई पड़ाव थे मंज़िल की राह में 'ताबिश'
मिरे नसीब में लेकिन सफ़र कुछ और से थे
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है
किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
कोई इज़हार कर सकता है कैसे
ये लफ़्ज़ों से ज़बाँ का फ़ासला है
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
कोई इज़हार कर सकता है कैसे
ये लफ़्ज़ों से ज़बाँ का फ़ासला है
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
न देखें तो सुकूँ मिलता नहीं है
हमें आख़िर वो क्यूँ मिलता नहीं है
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
उतर गया है रग-ओ-पय में ज़ाइक़ा उस का
अजीब शहद सा कल रात उस ज़बान में था
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |
उतर गया है रग-ओ-पय में ज़ाइक़ा उस का
अजीब शहद सा कल रात उस ज़बान में था
ताबिश कमाल
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
| 2 लाइन शायरी |