दाम-बर-दोश फिरें चाहे वो गेसू बर-दोश
सैद बन बन के हमीं ने उन्हें सय्याद किया
सिराज लखनवी
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दम घुटा जाता है मोहब्बत का
बंद ही बंद गुफ़्तुगू है अभी
सिराज लखनवी
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दम घुटा जाता है मोहब्बत का
बंद ही बंद गुफ़्तुगू है अभी
सिराज लखनवी
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दिया है दर्द तो रंग-ए-क़ुबूल दे ऐसा
जो अश्क आँख से टपके वो दास्ताँ हो जाए
सिराज लखनवी
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एक एक से भीक आँसुओं की माँग रहा हूँ
किस ने मुझे झोंका है जहन्नम की फ़ज़ा में
सिराज लखनवी
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एक एक से भीक आँसुओं की माँग रहा हूँ
किस ने मुझे झोंका है जहन्नम की फ़ज़ा में
सिराज लखनवी
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ग़ुस्ल-ए-तौबा के लिए भी नहीं मिलती है शराब
अब हमें प्यास लगी है तो कोई जाम नहीं
सिराज लखनवी
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