किस लिए लुत्फ़ की बातें हैं फिर
क्या कोई और सितम याद आया
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
शायद इसी का नाम मोहब्बत है 'शेफ़्ता'
इक आग सी है सीने के अंदर लगी हुई
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
तूफ़ान-ए-नूह लाने से ऐ चश्म फ़ाएदा
दो अश्क भी बहुत हैं अगर कुछ असर करें
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
तूफ़ान-ए-नूह लाने से ऐ चश्म फ़ाएदा
दो अश्क भी बहुत हैं अगर कुछ असर करें
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
उड़ती सी 'शेफ़्ता' की ख़बर कुछ सुनी है आज
लेकिन ख़ुदा करे ये ख़बर मो'तबर न हो
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
दूसरों के ज़ख़्म बुन कर ओढ़ना आसाँ नहीं
सब क़बाएँ हेच हैं मेरी रिदा के सामने
शहपर रसूल
दूसरों के ज़ख़्म बुन कर ओढ़ना आसाँ नहीं
सब क़बाएँ हेच हैं मेरी रिदा के सामने
शहपर रसूल