कहीं दाम-ए-सब्ज़ा-ए-गुल मिला कहीं आरज़ू का चमन खिला
तिरे हुस्न को ये ख़बर भी है मैं कहाँ कहाँ से गुज़र गया
शारिक़ ईरायानी
न यही कि ज़ौक़-ए-नज़र मिरा सफ़-ए-गुल-रुख़ाँ से गुज़र गया
मैं तिरी तलाश में बार-हा मह-ओ-कहकशाँ से गुज़र गया
शारिक़ ईरायानी
न यही कि ज़ौक़-ए-नज़र मिरा सफ़-ए-गुल-रुख़ाँ से गुज़र गया
मैं तिरी तलाश में बार-हा मह-ओ-कहकशाँ से गुज़र गया
शारिक़ ईरायानी
आओ गले मिल कर ये देखें
अब हम में कितनी दूरी है
शारिक़ कैफ़ी
अब मुझे कौन जीत सकता है
तू मिरे दिल का आख़िरी डर था
शारिक़ कैफ़ी
अब मुझे कौन जीत सकता है
तू मिरे दिल का आख़िरी डर था
शारिक़ कैफ़ी
अभी तो अच्छी लगेगी कुछ दिन जुदाई की रुत
अभी हमारे लिए ये सब कुछ नया नया है
शारिक़ कैफ़ी