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उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है | शाही शायरी
udas hain sab pata nahin ghar mein kya hua hai

ग़ज़ल

उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है

शारिक़ कैफ़ी

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उदास हैं सब पता नहीं घर में क्या हुआ है
हमारा इतना ख़याल क्यूँ रक्खा जा रहा है

कुछ इतना ख़ुश-फ़हम हो गया हूँ कि अपना चेहरा
पराई आँखों से जब भी देखा बुरा लगा है

अभी तो अच्छी लगेगी कुछ दिन जुदाई की रुत
अभी हमारे लिए ये सब कुछ नया नया है

ख़ुशी हुई थी कि अब मैं तन्हा नहीं हूँ लेकिन
ये शख़्स तो मेरे साथ चलता ही जा रहा है

मुझे तो इस बात की ख़ुशी है कि अब भी मुझ में
किसी पे भी ए'तिबार करने का हौसला है