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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
जिस ने पाया नहीं सो बकता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जिस तरफ़ को मैं गया रोता हुआ
ता-फ़लक रू-ए-ज़मीं दरिया हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जो अज़ल में क़लम चली सो चली
बद हुआ या निको हुआ सो हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जो अज़ल में क़लम चली सो चली
बद हुआ या निको हुआ सो हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जो जी में आवे तो टुक झाँक अपने दिल की तरफ़
कि उस तरफ़ को इधर से भी राह निकले है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जुनूँ है फ़ौज फ़ौज और इस तरफ़ 'हातिम' अकेला है
नहीं कुइ तुझ बग़ैर अब ऐ मिरे अल्लाह क्या कीजे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जुनूँ है फ़ौज फ़ौज और इस तरफ़ 'हातिम' अकेला है
नहीं कुइ तुझ बग़ैर अब ऐ मिरे अल्लाह क्या कीजे

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम