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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
तब तक मिरी गर्दन के उपर बार रहेगा

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जवाब-ए-नामा या देता नहीं या क़ैद करता है
जो भेजा हम ने क़ासिद फिर न पाई कुछ ख़बर उस की

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जवाब-ए-नामा या देता नहीं या क़ैद करता है
जो भेजा हम ने क़ासिद फिर न पाई कुछ ख़बर उस की

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जी उठूँ फिर कर अगर तू एक बोसा दे मुझे
चूसना लब का तिरे है मुझ को जूँ आब-ए-हयात

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जी उठूँ फिर कर अगर तू एक बोसा दे मुझे
चूसना लब का तिरे है मुझ को जूँ आब-ए-हयात

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जिस के मुँह की उतर गई लोई
ग़म नहीं उस को कुछ कहो कोई

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम




जिस ने पाया उसे सो है ख़ामोश
जिस ने पाया नहीं सो बकता है

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम