जामा उर्यानी का क़ामत पर मिरी आया है रास्त
अब मुझे नाम-ए-लिबास-ए-आरियत से नंग है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जाने न पाए उस को जहाँ हो तहाँ से लाओ
घर में न हो तो कूचा ओ बाज़ार देखना
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब हुए 'हातिम' हम उस से आश्ना
दोस्त भी दुश्मन हमारे हो गए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब हुए 'हातिम' हम उस से आश्ना
दोस्त भी दुश्मन हमारे हो गए
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब पुकारे है वो अबे ओ होत
आशिक़ अपना ख़िताब जाने है
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब से तेरी नज़र पड़ी है झलक
तब से लगती नहीं पलक से पलक
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
जब से तेरी नज़र पड़ी है झलक
तब से लगती नहीं पलक से पलक
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम