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कुन के कहने में जो हुआ सो हुआ | शाही शायरी
kun ke kahne mein jo hua so hua

ग़ज़ल

कुन के कहने में जो हुआ सो हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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कुन के कहने में जो हुआ सो हुआ
राँड रोना न रो हुआ सो हुआ

जो अज़ल में क़लम चली सो चली
बद हुआ या निको हुआ सो हुआ

रंज ओ राहत में इख़्तियार नहीं
राज़ी हो या न हो हुआ सो हुआ

यूँ न हो यूँ हो यूँ हुआ सो क्यूँ
क्या है ये गुफ़्तुगू हुआ सो हुआ

शिकवा क़िस्मत का शिकवा-ए-हक़ है
बक न ख़ामोश हो हुआ सो हुआ

हाथ आता नहीं बग़ैर नसीब
पाँव फैला के सो हुआ सो हुआ

जो मुक़द्दर था हो चुका 'हातिम'
फ़िक्र में दम न खो हुआ सो हुआ