मुश्किल में कब किसी का कोई आश्ना हुआ
तलवार जब गले से मिली सर जुदा हुआ
शाद लखनवी
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न तड़पने की इजाज़त है न फ़रियाद की है
घुट के मर जाऊँ ये मर्ज़ी मिरे सय्याद की है
शाद लखनवी
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पानी पानी हो ख़जालत से हर इक चश्म-ए-हबाब
जो मुक़ाबिल हो मिरी अश्क भरी आँखों से
शाद लखनवी
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सोहबत-ए-वस्ल है मसदूद हैं दर हाए हिजाब
नहीं मालूम ये किस आह से शरम आती है
शाद लखनवी
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सोहबत-ए-वस्ल है मसदूद हैं दर हाए हिजाब
नहीं मालूम ये किस आह से शरम आती है
शाद लखनवी
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वस्ल में बेकार है मुँह पर नक़ाब
शरम का आँखों पे पर्दा चाहिए
शाद लखनवी
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विसाल-ए-यार से दूना हुआ इश्क़
मरज़ बढ़ता गया जूँ जूँ दवा की
शाद लखनवी