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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

तलब करें भी तो क्या शय तलब करें ऐ 'शाद'
हमें तो आप नहीं अपना मुद्दआ मालूम

शाद अज़ीमाबादी




तलब करें भी तो क्या शय तलब करें ऐ 'शाद'
हमें तो आप नहीं अपना मुद्दआ मालूम

शाद अज़ीमाबादी




तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ

शाद अज़ीमाबादी




तिरा आस्ताँ जो न मिल सका तिरी रहगुज़र की ज़मीं सही
हमें सज्दा करने से काम है जो वहाँ नहीं तो कहीं सही

शाद अज़ीमाबादी




तिरा आस्ताँ जो न मिल सका तिरी रहगुज़र की ज़मीं सही
हमें सज्दा करने से काम है जो वहाँ नहीं तो कहीं सही

शाद अज़ीमाबादी




ये बज़्म-ए-मय है याँ कोताह-दस्ती में है महरूमी
जो बढ़ कर ख़ुद उठा ले हाथ में मीना उसी का है

शाद अज़ीमाबादी




चश्म-ए-तर ने बहा के जू-ए-सरिश्क
मौज-ए-दरिया को धार पर मारा

शाद लखनवी