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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
हँसता है देख देख के दीवाना आप का

शाद अज़ीमाबादी




कहते हैं अहल-ए-होश जब अफ़्साना आप का
हँसता है देख देख के दीवाना आप का

शाद अज़ीमाबादी




कुछ ऐसा कर कि ख़ुल्द आबाद तक ऐ 'शाद' जा पहुँचें
अभी तक राह में वो कर रहे हैं इंतिज़ार अपना

शाद अज़ीमाबादी




कुछ ऐसा कर कि ख़ुल्द आबाद तक ऐ 'शाद' जा पहुँचें
अभी तक राह में वो कर रहे हैं इंतिज़ार अपना

शाद अज़ीमाबादी




मैं हैरत ओ हसरत का मारा ख़ामोश खड़ा हूँ साहिल पर
दरिया-ए-मोहब्बत कहता है आ कुछ भी नहीं पायाब हैं हम

शाद अज़ीमाबादी




मैं हैरत ओ हसरत का मारा ख़ामोश खड़ा हूँ साहिल पर
दरिया-ए-मोहब्बत कहता है आ कुछ भी नहीं पायाब हैं हम

शाद अज़ीमाबादी




मिलेगा ग़ैर भी उन के गले ब-शौक़ ऐ दिल
हलाल करने मुझे ईद का हिलाल आया

शाद अज़ीमाबादी