हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह
इधर से मुद्दतों आया गया हूँ
शाद अज़ीमाबादी
जब किसी ने हाल पूछा रो दिया
चश्म-ए-तर तू ने तो मुझ को खो दिया
शाद अज़ीमाबादी
जब किसी ने हाल पूछा रो दिया
चश्म-ए-तर तू ने तो मुझ को खो दिया
शाद अज़ीमाबादी
जैसे मिरी निगाह ने देखा न हो कभी
महसूस ये हुआ तुझे हर बार देख कर
शाद अज़ीमाबादी
जीते जी हम तो ग़म-ए-फ़र्दा की धुन में मर गए
कुछ वही अच्छे हैं जो वाक़िफ़ नहीं अंजाम से
शाद अज़ीमाबादी
जीते जी हम तो ग़म-ए-फ़र्दा की धुन में मर गए
कुछ वही अच्छे हैं जो वाक़िफ़ नहीं अंजाम से
शाद अज़ीमाबादी
कहाँ से लाऊँ सब्र-ए-हज़रत-ए-अय्यूब ऐ साक़ी
ख़ुम आएगा सुराही आएगी तब जाम आएगा
शाद अज़ीमाबादी