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2 लाइन शायरी शायरी | शाही शायरी

2 लाइन शायरी

22761 शेर

भरे हों आँख में आँसू ख़मीदा गर्दन हो
तो ख़ामुशी को भी इज़हार-ए-मुद्दआ कहिए

शाद अज़ीमाबादी




चमन में जा के हम ने ग़ौर से औराक़-ए-गुल देखे
तुम्हारे हुस्न की शरहें लिखी हैं इन रिसालों में

शाद अज़ीमाबादी




ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम

शाद अज़ीमाबादी




ढूँडोगे अगर मुल्कों मुल्कों मिलने के नहीं नायाब हैं हम
जो याद न आए भूल के फिर ऐ हम-नफ़सो वो ख़्वाब हैं हम

शाद अज़ीमाबादी




दिल-ए-मुज़्तर से पूछ ऐ रौनक़-ए-बज़्म
मैं ख़ुद आया नहीं लाया गया हूँ

शाद अज़ीमाबादी




हज़ार शुक्र मैं तेरे सिवा किसी का नहीं
हज़ार हैफ़ कि अब तक हुआ न तू मेरा

शाद अज़ीमाबादी




हज़ार शुक्र मैं तेरे सिवा किसी का नहीं
हज़ार हैफ़ कि अब तक हुआ न तू मेरा

शाद अज़ीमाबादी