कोई बात ख़्वाब-ओ-ख़याल की जो करो तो वक़्त कटेगा अब
हमें मौसमों के मिज़ाज पर कोई ए'तिबार कहाँ रहा
अदा जाफ़री
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कोई ताइर इधर नहीं आता
कैसी तक़्सीर इस मकाँ से हुई
अदा जाफ़री
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कुछ इतनी रौशनी में थे चेहरों के आइने
दिल उस को ढूँढता था जिसे जानता न था
अदा जाफ़री
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लोग बे-मेहर न होते होंगे
वहम सा दिल को हुआ था शायद
अदा जाफ़री
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मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ
तुम मुझ से पूछते हो मिरा हौसला है क्या
अदा जाफ़री
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मता-ए-दर्द परखना तो बस की बात नहीं
जो तुझ को देख के आए वो हम को पहचाने
अदा जाफ़री
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मिज़ाज-ओ-मर्तबा-ए-चश्म-ए-नम को पहचाने
जो तुझ को देख के आए वो हम को पहचाने
अदा जाफ़री
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