दिखाऊँगा तुझे ज़ाहिद उस आफ़त-ए-दीं को
ख़लल दिमाग़ में तेरे है पारसाई का
मोहम्मद रफ़ी सौदा
दिल के टुकड़ों को बग़ल-गीर लिए फिरता हूँ
कुछ इलाज इस का भी ऐ शीशा-गिराँ है कि नहीं
मोहम्मद रफ़ी सौदा
दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा
जूँ अश्क फिर ज़मीं से उठाया न जाएगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
फ़िक्र-ए-मआश इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
इस ज़िंदगी में अब कोई क्या क्या किया करे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक
इलाही हो न वतन से कोई ग़रीब जुदा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
गर हो शराब ओ ख़ल्वत ओ महबूब-ए-ख़ूब-रू
ज़ाहिद क़सम है तुझ को जो तू हो तो क्या करे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
दिल-दार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है
मोहम्मद रफ़ी सौदा
ग़रज़ कुफ़्र से कुछ न दीं से है मतलब
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं
मोहम्मद रफ़ी सौदा
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का
मोहम्मद रफ़ी सौदा