आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना
कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना
मोहम्मद रफ़ी सौदा
अबस तू घर बसाता है मिरी आँखों में ऐ प्यारे
किसी ने आज तक देखा भी है पानी पे घर ठहरा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
अम्मामे को उतार के पढ़ीयो नमाज़ शैख़
सज्दे से वर्ना सर को उठाया न जाएगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
बादशाहत दो जहाँ की भी जो होवे मुझ को
तेरे कूचे की गदाई से न खो दे मुझ को
मोहम्मद रफ़ी सौदा
बदला तिरे सितम का कोई तुझ से क्या करे
अपना ही तू फ़रेफ़्ता होवे ख़ुदा करे
मोहम्मद रफ़ी सौदा
बे-सबाती ज़माने की नाचार
करनी मुझ को बयान पड़ती है
मोहम्मद रफ़ी सौदा
दिखाऊँगा तुझे ज़ाहिद उस आफ़त-ए-दीं को
ख़लल दिमाग़ में तेरे है पारसाई का
मोहम्मद रफ़ी सौदा
दिल के टुकड़ों को बग़ल-गीर लिए फिरता हूँ
कुछ इलाज इस का भी ऐ शीशा-गिराँ है कि नहीं
मोहम्मद रफ़ी सौदा
दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा
जूँ अश्क फिर ज़मीं से उठाया न जाएगा
मोहम्मद रफ़ी सौदा