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मोहम्मद रफ़ी सौदा शायरी | शाही शायरी

मोहम्मद रफ़ी सौदा शेर

60 शेर

दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा
जूँ अश्क फिर ज़मीं से उठाया न जाएगा

मोहम्मद रफ़ी सौदा




आदम का जिस्म जब कि अनासिर से मिल बना
कुछ आग बच रही थी सो आशिक़ का दिल बना

मोहम्मद रफ़ी सौदा




फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक
इलाही हो न वतन से कोई ग़रीब जुदा

मोहम्मद रफ़ी सौदा




गर हो शराब ओ ख़ल्वत ओ महबूब-ए-ख़ूब-रू
ज़ाहिद क़सम है तुझ को जो तू हो तो क्या करे

मोहम्मद रफ़ी सौदा




गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
दिल-दार तू हुआ तो दिल-आज़ार कौन है

मोहम्मद रफ़ी सौदा




ग़रज़ कुफ़्र से कुछ न दीं से है मतलब
तमाशा-ए-दैर-ओ-हरम देखते हैं

मोहम्मद रफ़ी सौदा




गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
लहू में ग़र्क़ सफ़ीना हो आश्नाई का

मोहम्मद रफ़ी सौदा




गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी
ऐ ख़ाना-बर-अंदाज़-ए-चमन कुछ तो इधर भी

मोहम्मद रफ़ी सौदा




है मुद्दतों से ख़ाना-ए-ज़ंजीर बे-सदा
मालूम ही नहीं कि दिवाने किधर गए

मोहम्मद रफ़ी सौदा