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नूह नारवी शायरी | शाही शायरी

नूह नारवी शेर

87 शेर

आते आते राह पर वो आएँगे
जाते जाते बद-गुमानी जाएगी

नूह नारवी




आप जो कहते हैं सब हज़रत-ए-नासेह है बजा
क्या करूँ ज़ेहन से ये लफ़्ज़ उतर जाते हैं

नूह नारवी




आप आए बन पड़ी मेरे दिल-ए-नाशाद की
आप बिगड़े बन गई मेरे दिल-ए-नाशाद पर

नूह नारवी




दूँगा जवाब मैं भी बड़ी शद्द-ओ-मद के साथ
लिक्खा है उस ने मुझ को बड़े कर्र-ओ-फ़र्र से ख़त

नूह नारवी




इस कम-सिनी में हो उन्हें मेरा ख़याल क्या
वो कै बरस के हैं अभी सिन क्या है साल क्या

नूह नारवी




इक सितम ढाने में फ़र्द एक सितम सहने में
अल-ग़रज़ है न तुम्हारा न मिरा दिल नाक़िस

नूह नारवी




हुस्न-ए-मुत्लक़ का निशाँ का'बे में तो मिलता नहीं
एहतियात आओ चल कर देख लें बुत-ख़ाना हम

नूह नारवी




हज़ारों रंज-ए-दिल दे दे के माशूक़ों को झेले हैं
ये पापड़ किस ने बेले हैं ये पापड़ मैं ने बेले में

नूह नारवी




हमें इसरार मिलने पर तुम्हें इंकार मिलने से
न तुम मानो न हम मानें न ये कम हो न वो कम हो

नूह नारवी