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निदा फ़ाज़ली शायरी | शाही शायरी

निदा फ़ाज़ली शेर

81 शेर

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

निदा फ़ाज़ली




धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

निदा फ़ाज़ली




चिड़िया ने उड़ कर कहा मेरा है आकाश
बोला शिकरा डाल से यूँही होता काश

निदा फ़ाज़ली




बृन्दाबन के कृष्ण कन्हैया अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह हू

निदा फ़ाज़ली




बृन्दाबन के कृष्ण कन्हय्या अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गैय्या अल्लाह हू

निदा फ़ाज़ली




बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता

निदा फ़ाज़ली




दूर के चाँद को ढूँडो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला

निदा फ़ाज़ली




बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी
सलीक़ा चाहिए आवारगी में

निदा फ़ाज़ली




बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे

निदा फ़ाज़ली