EN اردو
निदा फ़ाज़ली शायरी | शाही शायरी

निदा फ़ाज़ली शेर

81 शेर

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

निदा फ़ाज़ली




सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें
क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

निदा फ़ाज़ली




सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत

निदा फ़ाज़ली




रिश्तों का ए'तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं

निदा फ़ाज़ली




पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है
अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

निदा फ़ाज़ली




बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

निदा फ़ाज़ली




दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

enmity however strong, the contact never break
hearts and minds may be apart, the hands must ever shake

निदा फ़ाज़ली




दुनिया न जीत पाओ तो हारो न आप को
थोड़ी बहुत तो ज़ेहन में नाराज़गी रहे

निदा फ़ाज़ली




दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

निदा फ़ाज़ली