बृन्दाबन के कृष्ण कनहैया अल्लाह हू
बंसी राधा गीता गय्या अल्लाह हू
थोड़े तिनके थोड़े दाने थोड़ा जल
एक ही जैसी हर गौरय्या अल्लाह हू
जैसा जिस का बर्तन वैसा उस का तन
घटती बढ़ती गंगा मय्या अल्लाह हू
एक ही दरिया नीला पीला लाल हरा
अपनी अपनी सब की नय्या अल्लाह हू
मौलवियों का सज्दा पंडित की पूजा
मज़दूरों की हैय्या हैय्या अल्लाह हू
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ग़ज़ल
बृन्दाबन के कृष्ण कनहैया अल्लाह हू
निदा फ़ाज़ली