EN اردو
जमाल एहसानी शायरी | शाही शायरी

जमाल एहसानी शेर

25 शेर

'जमाल' हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को
जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैं ने

जमाल एहसानी




जानता हूँ मिरे क़िस्सा-गो ने
अस्ल क़िस्से को छुपा रक्खा है

जमाल एहसानी




इक सफ़र में कोई दो बार नहीं लुट सकता
अब दोबारा तिरी चाहत नहीं की जा सकती

जमाल एहसानी




हज़ार तरह के थे रंज पिछले मौसम में
पर इतना था कि कोई साथ रोने वाला था

जमाल एहसानी




हम ऐसे बे-हुनरों में है जो सलीक़ा-ए-ज़ीस्त
तिरे दयार में पल-भर क़याम से आया

जमाल एहसानी




हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगा
सर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ

जमाल एहसानी




दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत
समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है

जमाल एहसानी