'जमाल' हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को
जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैं ने
जमाल एहसानी
जानता हूँ मिरे क़िस्सा-गो ने
अस्ल क़िस्से को छुपा रक्खा है
जमाल एहसानी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
इक सफ़र में कोई दो बार नहीं लुट सकता
अब दोबारा तिरी चाहत नहीं की जा सकती
जमाल एहसानी
हज़ार तरह के थे रंज पिछले मौसम में
पर इतना था कि कोई साथ रोने वाला था
जमाल एहसानी
टैग:
| गम |
| 2 लाइन शायरी |
हम ऐसे बे-हुनरों में है जो सलीक़ा-ए-ज़ीस्त
तिरे दयार में पल-भर क़याम से आया
जमाल एहसानी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगा
सर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ
जमाल एहसानी
टैग:
| 2 लाइन शायरी |
दुनिया पसंद आने लगी दिल को अब बहुत
समझो कि अब ये बाग़ भी मुरझाने वाला है
जमाल एहसानी