ख़ुद जिसे मेहनत मशक़्क़त से बनाता हूँ 'जमाल'
छोड़ देता हूँ वो रस्ता आम हो जाने के बा'द
जमाल एहसानी
और अब ये चाहता हूँ कोई ग़म बटाए मिरा
मैं अपनी मिट्टी कभी आप ढोने वाला था
जमाल एहसानी
जो पहले रोज़ से दो आँगनों में था हाइल
वो फ़ासला तो ज़मीन आसमान में भी न था
जमाल एहसानी
'जमाल' हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को
जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैं ने
जमाल एहसानी
जानता हूँ मिरे क़िस्सा-गो ने
अस्ल क़िस्से को छुपा रक्खा है
जमाल एहसानी
इक सफ़र में कोई दो बार नहीं लुट सकता
अब दोबारा तिरी चाहत नहीं की जा सकती
जमाल एहसानी
हज़ार तरह के थे रंज पिछले मौसम में
पर इतना था कि कोई साथ रोने वाला था
जमाल एहसानी
हम ऐसे बे-हुनरों में है जो सलीक़ा-ए-ज़ीस्त
तिरे दयार में पल-भर क़याम से आया
जमाल एहसानी
हारने वालों ने इस रुख़ से भी सोचा होगा
सर कटाना है तो हथियार न डाले जाएँ
जमाल एहसानी