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इम्दाद इमाम असर शायरी | शाही शायरी

इम्दाद इमाम असर शेर

28 शेर

जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
लोग तेरा कलाम लेते हैं

इम्दाद इमाम असर




आइना देख के फ़रमाते हैं
किस ग़ज़ब की है जवानी मेरी

इम्दाद इमाम असर




हसीनों की जफ़ाएँ भी तलव्वुन से नहीं ख़ाली
सितम के ब'अद करते हैं करम ऐसा भी होता है

इम्दाद इमाम असर




गुलशन में कौन बुलबुल-ए-नालाँ को दे पनाह
गुलचीं ओ बाग़बाँ भी हैं सय्याद की तरफ़

इम्दाद इमाम असर




दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया

इम्दाद इमाम असर




दिल से क्या पूछता है ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर से पूछ
अपने दीवाने का अहवाल तू ज़ंजीर से पूछ

इम्दाद इमाम असर




दिल न देते उसे तो क्या करते
ऐ 'असर' दुख हमें उठाना था

इम्दाद इमाम असर




दिल की हालत से ख़बर देती है
'असर' आशुफ़्ता-बयानी मेरी

इम्दाद इमाम असर




बनाते हैं हज़ारों ज़ख़्म-ए-ख़ंदाँ ख़ंजर-ए-ग़म से
दिल-ए-नाशाद को हम इस तरह पुर-शाद करते हैं

इम्दाद इमाम असर