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लोग जब तेरा नाम लेते हैं | शाही शायरी
log jab tera nam lete hain

ग़ज़ल

लोग जब तेरा नाम लेते हैं

इम्दाद इमाम असर

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लोग जब तेरा नाम लेते हैं
हम कलेजे को थाम लेते हैं

राहबर की नहीं हमें हाजत
ख़िज़्र का दिल से काम लेते हैं

बादा भी मस्त-ए-नाज़ होता है
जिस अदा से वो जाम लेते हैं

शैख़ साहिब बहुत मुरीदों से
आप माल-ए-हराम लेते हैं

मुफ़्त बोसा हसीं नहीं देते
दिल जो देते हैं दाम लेते हैं

आदमी क्या मलक दरूद के साथ
नाम-ए-ख़ैरुल-अनाम लेते हैं

उन को ढूँडे कहाँ कहाँ कोई
कब वो नाम-ए-क़याम लेते हैं

फ़ित्ना-ए-रोज़गार बन बन कर
घर नया सुब्ह ओ शाम लेते हैं

ज़ोफ़ भी कैफ़ से नहीं ख़ाली
जब गिरूँ मैं वो थाम लेते हैं

जान कर 'मीर' का कलाम 'असर'
लोग तेरा कलाम लेते हैं