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हसरत मोहानी शायरी | शाही शायरी

हसरत मोहानी शेर

75 शेर

छेड़ नाहक़ न ऐ नसीम-ए-बहार
सैर-ए-गुल का यहाँ किसे है दिमाग़

हसरत मोहानी




भूल ही जाएँ हम को ये तो न हो
लोग मेरे लिए दुआ न करें

हसरत मोहानी




बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
वर्ना पेश-ए-यार काम आती है तक़रीरें कहीं

हसरत मोहानी




देखने आए थे वो अपनी मोहब्बत का असर
कहने को ये है कि आए हैं अयादत कर के

हसरत मोहानी




बर्क़ को अब्र के दामन में छुपा देखा है
हम ने उस शोख़ को मजबूर-ए-हया देखा है

hidden midst the clouds, lightning I did see
that sprite was today subdued by modesty

हसरत मोहानी




बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
जो शिकायत है हमें गर्दिश-ए-अय्याम से है

हसरत मोहानी




बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
अब तो इज़हार-ए-मोहब्बत बरमला होने लगा

हसरत मोहानी




अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम

हसरत मोहानी




ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ

she was so annoyed she did not even torment me
in doing so denied what was due to enmity

हसरत मोहानी