बे-ज़बानी तर्जुमान-ए-शौक़ बेहद हो तो हो
वर्ना पेश-ए-यार काम आती है तक़रीरें कहीं
हसरत मोहानी
आईने में वो देख रहे थे बहार-ए-हुस्न
आया मिरा ख़याल तो शर्मा के रह गए
हसरत मोहानी
बर्क़ को अब्र के दामन में छुपा देखा है
हम ने उस शोख़ को मजबूर-ए-हया देखा है
hidden midst the clouds, lightning I did see
that sprite was today subdued by modesty
हसरत मोहानी
बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
जो शिकायत है हमें गर्दिश-ए-अय्याम से है
हसरत मोहानी
बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
अब तो इज़हार-ए-मोहब्बत बरमला होने लगा
हसरत मोहानी
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
रंगीनियों में डूब गया पैरहन तमाम
हसरत मोहानी
ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ
she was so annoyed she did not even torment me
in doing so denied what was due to enmity
हसरत मोहानी
ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र
मसरूर हैं तिरी ख़लिश-ए-ना-तवाँ से हम
हसरत मोहानी
आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा
हसरत मोहानी