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हसरत मोहानी शायरी | शाही शायरी

हसरत मोहानी शेर

75 शेर

ऐ याद-ए-यार देख कि बा-वस्फ़-ए-रंज-ए-हिज्र
मसरूर हैं तिरी ख़लिश-ए-ना-तवाँ से हम

हसरत मोहानी




आरज़ू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहा रहा न रहा

हसरत मोहानी




आप को आता रहा मेरे सताने का ख़याल
सुल्ह से अच्छी रही मुझ को लड़ाई आप की

हसरत मोहानी




है मश्क़-ए-सुख़न जारी चक्की की मशक़्क़त भी
इक तुर्फ़ा तमाशा है 'हसरत' की तबीअत भी

हसरत मोहानी




इल्तिफ़ात-ए-यार था इक ख़्वाब-ए-आग़ाज़-ए-वफ़ा
सच हुआ करती हैं इन ख़्वाबों की ताबीरें कहीं

हसरत मोहानी




'हसरत' की भी क़ुबूल हो मथुरा में हाज़िरी
सुनते हैं आशिक़ों पे तुम्हारा करम है आज

हसरत मोहानी




'हसरत' जो सुन रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का हाल
इस में भी कुछ फ़रेब तिरी दास्ताँ के हैं

हसरत मोहानी




'हसरत' बहुत है मर्तबा-ए-आशिक़ी बुलंद
तुझ को तो मुफ़्त लोगों ने मशहूर कर दिया

हसरत मोहानी




हक़ीक़त खुल गई 'हसरत' तिरे तर्क-ए-मोहब्बत की
तुझे तो अब वो पहले से भी बढ़ कर याद आते हैं

हसरत मोहानी