रूह घबराई हुई फिरती है मेरी लाश पर
क्या जनाज़े पर मेरे ख़त का जवाब आने को है
फ़ानी बदायुनी
मुस्कुराए वो हाल-ए-दिल सुन कर
और गोया जवाब था ही नहीं
फ़ानी बदायुनी
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या मालूम
फ़ानी बदायुनी
न इंतिहा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
रहा ये वहम कि हम हैं सो ये भी क्या मालूम
फ़ानी बदायुनी
ना-मेहरबानियों का गिला तुम से क्या करें
हम भी कुछ अपने हाल पे अब मेहरबाँ नहीं
फ़ानी बदायुनी
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
फ़ानी बदायुनी
नहीं ज़रूर कि मर जाएँ जाँ-निसार तेरे
यही है मौत कि जीना हराम हो जाए
फ़ानी बदायुनी
फिर किसी की याद ने तड़पा दिया
फिर कलेजा थाम कर हम रह गए
फ़ानी बदायुनी
रोने के भी आदाब हुआ करते हैं 'फ़ानी'
ये उस की गली है तेरा ग़म-ख़ाना नहीं है
फ़ानी बदायुनी