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एहसान दानिश शायरी | शाही शायरी

एहसान दानिश शेर

36 शेर

आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए

एहसान दानिश




हम चटानें हैं कोई रेत के साहिल तो नहीं
शौक़ से शहर-पनाहों में लगा दो हम को

एहसान दानिश




हम हक़ीक़त हैं तो तस्लीम न करने का सबब
हाँ अगर हर्फ़-ए-ग़लत हैं तो मिटा दो हम को

एहसान दानिश




हुस्न को दुनिया की आँखों से न देख
अपनी इक तर्ज़-ए-नज़र ईजाद कर

एहसान दानिश




कौन देता है मोहब्बत को परस्तिश का मक़ाम
तुम ये इंसाफ़ से सोचो तो दुआ दो हम को

एहसान दानिश




ख़ाक से सैंकड़ों उगे ख़ुर्शीद
है अंधेरा मगर चराग़-तले

एहसान दानिश




किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर
किस किस की तबाही में तिरा हाथ नहीं है

एहसान दानिश




किसे ख़बर थी कि ये दौर-ए-ख़ुद-ग़रज़ इक दिन
जुनूँ से क़ीमत-ए-दार-ओ-रसन छुपाएगा

एहसान दानिश




कुछ अपने साज़-ए-नफ़स की न क़द्र की तू ने
कि इस रबाब से बेहतर कोई रबाब न था

एहसान दानिश