हम चटानें हैं कोई रेत के साहिल तो नहीं
शौक़ से शहर-पनाहों में लगा दो हम को
एहसान दानिश
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज
उम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
एहसान दानिश
फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को
ख़लाओं से सर-ए-काग़ज़ उतार लाए हैं
एहसान दानिश
'एहसान' अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
अहबाब बेवफ़ा हैं ख़ुदा बे-नियाज़ है
एहसान दानिश
'एहसान' ऐसा तल्ख़ जवाब-ए-वफ़ा मिला
हम इस के बाद फिर कोई अरमाँ न कर सके
I, to my troth, such a bitter response did obtain
after that I could never hope to hope again
एहसान दानिश
दिल की शगुफ़्तगी के साथ राहत-ए-मय-कदा गई
फ़ुर्सत-ए-मय-कशी तो है हसरत-ए-मय-कशी नहीं
एहसान दानिश
दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन
इस आग को न तिरा पैरहन छुपाएगा
एहसान दानिश
बला से कुछ हो हम 'एहसान' अपनी ख़ू न छोड़ेंगे
हमेशा बे-वफ़ाओं से मिलेंगे बा-वफ़ा हो कर
एहसान दानिश
ब-जुज़ उस के 'एहसान' को क्या समझिए
बहारों में खोया हुआ इक शराबी
एहसान दानिश