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अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा शायरी | शाही शायरी

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा शेर

75 शेर

सुनने वाले मिरा क़िस्सा तुझे क्या लगता है
चोर दरवाज़ा कहानी का खुला लगता है

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




शिव तो नहीं हम फिर भी हम ने दुनिया भर के ज़हर पिए
इतनी कड़वाहट है मुँह में कैसे मीठी बात करें

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




धूप मेरी सारी रंगीनी उड़ा ले जाएगी
शाम तक मैं दास्ताँ से वाक़िआ हो जाऊँगी

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम से ज़ियादा कौन समझता है ग़म की गहराई को
हम ने ख़्वाबों की मिट्टी से पाटा है इस खाई को

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम ने सब को मुफ़्लिस पा के तोड़ दिया दिल का कश्कोल
हम को कोई क्या दे देगा क्यूँ मुँह-देखी बात करें

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम ने सारा जीवन बाँटी प्यार की दौलत लोगों में
हम ही सारा जीवन तरसे प्यार की पाई पाई को

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम मता-ए-दिल-ओ-जाँ ले के भला क्या जाएँ
ऐसी बस्ती में जहाँ कोई लुटेरा भी नहीं

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम हैं एहसास के सैलाब-ज़दा साहिल पर
देखिए हम को कहाँ ले के किनारा जाए

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा




हम ऐसे सूरमा हैं लड़ के जब हालात से पलटे
तो बढ़ के ज़िंदगी ने पेश कीं बैसाखियाँ हम को

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा