काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या
घुलता हुआ लहू में ये ख़ुर्शीद सा है क्या
अदा जाफ़री
काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें
befriend the thorns for they will be loyal until death
what of these flowers that will wilt with just a burning breath
अख़्तर शीरानी
बुरी सरिश्त न बदली जगह बदलने से
चमन में आ के भी काँटा गुलाब हो न सका
आरज़ू लखनवी
फूलों की ताज़गी ही नहीं देखने की चीज़
काँटों की सम्त भी तो निगाहें उठा के देख
असअ'द बदायुनी
काँटे से भी निचोड़ ली ग़ैरों ने बू-ए-गुल
यारों ने बू-ए-गुल से भी काँटा बना दिया
असलम कोलसरी
रुक गया हाथ तिरा क्यूँ 'बासिर'
कोई काँटा तो न था फूलों में
बासिर सुल्तान काज़मी
ख़ार-ए-हसरत बयान से निकला
दिल का काँटा ज़बान से निकला
दाग़ देहलवी