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Jafa शायरी | शाही शायरी

Jafa

10 शेर

लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाए

I've started to enjoy her tortures by and by
I hope she doesn't now decide to

अमीर मीनाई




तीर पर तीर लगाओ तुम्हें डर किस का है
सीना किस का है मिरी जान जिगर किस का है

अमीर मीनाई




जितनी वो मिरे हाल पे करते हैं जफ़ाएँ
आता है मुझे उन की मोहब्बत का यक़ीं और

More the cruelty from her that I receive
more in her affection for me do I believe

अर्श मलसियानी




उन की जफ़ाओं पर भी वफ़ा का हुआ गुमाँ
अपनी वफ़ाओं को भी फ़रामोश कर दिया

हमीद जालंधरी




ऐसे बिगड़े कि फिर जफ़ा भी न की
दुश्मनी का भी हक़ अदा न हुआ

she was so annoyed she did not even torment me
in doing so denied what was due to enmity

हसरत मोहानी




ज़ालिम जफ़ा जो चाहे सो कर मुझ पे तू वले
पछतावे फिर तू आप ही ऐसा न कर कहीं

O cruel one any torture, on me implement
just refrain from actions which you may repent

ख़्वाजा मीर 'दर्द'




जब भी वालिद की जफ़ा याद आई
अपने दादा की ख़ता याद आई

मोहम्मद यूसुफ़ पापा