पहले रग रग से मिरी ख़ून निचोड़ा उस ने
अब ये कहता है कि रंगत ही मिरी पीली है
मुज़फ़्फ़र वारसी
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अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आया
हज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया
नूह नारवी
तुम न तौबा करो जफ़ाओं से
हम वफ़ाओं से तौबा करते हैं
साहिर होशियारपुरी