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राना आमिर लियाक़त शायरी | शाही शायरी

राना आमिर लियाक़त शेर

26 शेर

आओ आँखें मिला के देखते हैं
कौन कितना उदास रहता है

राना आमिर लियाक़त




आधे घर में मैं होता हूँ आधे घर में तन्हाई
कौन सी चीज़ कहाँ रख दी है कौन मुझे बतलाएगा

राना आमिर लियाक़त




अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
मगर ये दरिया मुझे तैरना सिखाता है

राना आमिर लियाक़त




ऐसी प्यारी शाम में जी बहलाने को
पाँव निकाले जा सकते हैं चादर से

राना आमिर लियाक़त




अपना आप पड़ा रह जाता है बस इक अंदाज़े पर
आधे हम इस धरती पर हैं आधे उस सय्यारे पर

राना आमिर लियाक़त




दिल इक ऐसा कासा है जिस की गहराई मत पूछो
जितने सिक्के डालोगे उतना ख़ाली रह जाएगा

राना आमिर लियाक़त




दिल क़नाअत ज़रा सी करता तो
हर मोहब्बत थी आख़िरी मेरी

राना आमिर लियाक़त




गले लगा के मुझे पूछ मसअला क्या है
मैं डर रहा हूँ तुझे हाल-ए-दिल सुनाने से

राना आमिर लियाक़त




हर साँस नई साँस है हर दिन है मिरा दिन
तक़दीर लिए आती है हर रोज़ नया दिन

राना आमिर लियाक़त