अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब
दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है
The import of this spot upon your face I now detect
The treasure of your beauty does this sentinel protect
क़मर मुरादाबादी
दैर ओ काबा से जो हो कर गुज़रे
दोस्त की राहगुज़र याद आई
क़मर मुरादाबादी
ग़म की तौहीन न कर ग़म की शिकायत कर के
दिल रहे या न रहे अज़मत-ए-ग़म रहने दे
belittle not these sorrows, of them do not complain
their glory be preserved, tho heart may not remain
क़मर मुरादाबादी
हर्फ़ आने न दिया इश्क़ की ख़ुद्दारी पर
काम नाकाम तमन्ना से लिया है मैं ने
क़मर मुरादाबादी
जिस क़दर जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर होता गया
इश्क़ ख़ुद तर्क ओ तलब से बे-ख़बर होता गया
क़मर मुरादाबादी
किसी की राह में काँटे किसी की राह में फूल
हमारी राह में तूफ़ाँ है देखिए क्या हो
क़मर मुरादाबादी
लज़्ज़त-ए-दर्द-ए-जिगर याद आई
फिर तिरी पहली नज़र याद आई
क़मर मुरादाबादी
मंज़िलों के निशाँ नहीं मिलते
तुम अगर ना-गहाँ नहीं मिलते
क़मर मुरादाबादी
मुद्दतों बाद जो इस राह से गुज़रा हूँ 'क़मर'
अहद-ए-रफ़्ता को बहुत याद किया है मैं ने
क़मर मुरादाबादी