क़दम उठे भी नहीं बज़्म-ए-नाज़ की जानिब
ख़याल अभी से परेशाँ है देखिए क्या हो
क़मर मुरादाबादी
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यूँ न मिलने के सौ बहाने हैं
मिलने वाले कहाँ नहीं मिलते
क़मर मुरादाबादी
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