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नईम रज़ा भट्टी शायरी | शाही शायरी

नईम रज़ा भट्टी शेर

5 शेर

अपनी बे-ए'तिदालियों के सबब
मैं अगर बढ़ गया हुआ कम भी

नईम रज़ा भट्टी




बात ये है कि बात कोई नहीं
मैं अकेला हूँ साथ कोई नहीं

नईम रज़ा भट्टी




इस को मैं इंक़लाब कहता हूँ
ये जो इंकार की फ़ज़ा से उठा

नईम रज़ा भट्टी




पस-ए-पर्दा बहुत बे-पर्दगी है
बहुत बेज़ार है किरदार अपना

नईम रज़ा भट्टी




ये तमाशा-ए-इल्म-ओ-हुनर दोस्तो
कुछ नहीं है फ़क़त काग़ज़ी वहम है

नईम रज़ा भट्टी